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दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड शिविर का उद्घाटन – Parmarth Niketan

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दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड शिविर का उद्घाटन

दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड शिविर का उद्घाटन

स्वास्थ्य, शिक्षा और सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड सरकार, डॉ धन सिंह रावत जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी,

राष्ट्र मन्दिर के श्री अजय भाई जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, महावीर सेवा सदन से श्री विनोद बागरोडिया जी, श्रीमती आभा बागरोडिया, योगाचार्य

इरा त्रिवेदी जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित का दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड शिविर का शुभारम्भ किया।

परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, महावीर सेवा सदन, कोलकाता के संयुक्त तत्वाधान में सिंघवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रायोजित

आगामी दो वर्षों में उत्तराखंड राज्य को दिव्यांग मुक्त करने का आह्वान

ऋषिकेश, 2 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में आज स्वास्थ्य, शिक्षा और सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड सरकार, डॉ धन सिंह रावत जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, राष्ट्र मन्दिर के श्री अजय भाई जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, महावीर सेवा सदन से श्री विनोद बागरोडिया जी, श्रीमती आभा बागरोडिया और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित का दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड शिविर का शुभारम्भ किया।

परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, महावीर सेवा सदन, कोलकाता के संयुक्त तत्वाधान में सिंघवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रायोजित इस शिविर के माध्यम से 2 से 11 अक्टूबर, 2022 तक दिव्यांगों को कृत्रिम अंग बनाकर वितरित किये जायेंगे। इसके पहले भी दोनों संगठनों द्वारा विगत माह नेत्र चिकित्सा शिविर के माध्यम से 5 हजार से रोगियों के चश्मे और निःशुल्क दवाइयाँ वितरित की गयी तथा 10 और 11 अक्टूबर को भी निःशुल्क नेत्र शिविर का आयोजन किया जा रहा हैं। आगामी दिव्यांग चिकित्सा शिविर हेतु माननीय मंत्री श्री रावत जी से स्वामी जी की चर्चा हुईं और भावी योजनायें बनायी।

स्वास्थ्य, शिक्षा और सहकारिता मंत्री, उत्तराखंड सरकार, डॉ धन सिंह रावत जी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हम दो वर्षों में उत्तराखंड को टीबी से मुक्त प्रदेश बना देंगे तथा हम वर्ष 2024 तक नशा मुक्त प्रदेश बनाने की दिशा में अग्रसर है परन्तु यह कार्य बिना जन सहभागिता के सम्भव नहीं हो सकता। पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन और सहयोग से उत्तराखंड दिव्यांग मुक्त प्रदेश बनने की दिशा में बढ़ रहा है यह हम सभी के लिये सौभाग्य का विषय है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नवरात्रि के अवसर पर आयोजित दिव्यांग शिविर में हमारी बालिकाओं को पहले प्राथमिकता दी जायेगी क्योंकि नवरात्रि में हम कन्या पूजन करते हैं; कन्याओं के जिमाते हैं अब समय आ गया कि हम कन्याओं को जमाये; उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करें। आगामी दो वर्षों में उत्तराखंड राज्य को दिव्यांग मुक्त करने का आह्वान करते हुये स्वामी जी ने कहा कि यह यात्रा भारत के प्रत्येक प्रांत में जायेगी ताकि सभी दिव्यांगजन आत्मसम्मान और गरिमा के साथ जीवन यापन कर सके।

स्वामी जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन और महावीर सेवा सदन कई वर्षों से साथ-साथ सेवा हेतु आगे बढ़ रहे हैं परन्तु अब यह एक दशक की यात्रा होगी। हम एक संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे क्योंकि संकल्प से ही सिद्धि सम्भव हो सकती है। हमारी यह यात्रा दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने की यात्रा है। सबको जोड़ने और सब से जुड़ने की यात्रा है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं सहयोग चाहिये; उन्हें भीख नहीं बल्कि भाव चाहिये और बेटियों को सामान की नहीं सम्मान और उड़ान देने की जरूरत हैं। हमें मिलकर दिव्यांगों को समाज का अंग बनाना होगा।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आज महात्मा गांधी जी की जयंती के अवसर पर उनके कथन को दोहराया कि ‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश हैं’ इसलिये हम भी उनके आदर्शों को आत्मसात कर आगे बढं़े। जैसे गांधी जी ने अपना पूरा जीवन बिना भेदभाव के सभी के लिये समर्पित किया वैसे ही हमें भी सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिये।

श्री अजय भाई जी ने कहा कि आज महात्मा गांधी जी और शास्त्री की जयंती है। आज महात्मा का दिवस है और इस महान संकल्प की शुरूआत आज से हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने नाम से नहीं चरित्र से बड़ा होता हैं। किसी मन्दिर पर लगा ध्वज उसकी भव्यता है और उसका फाउंडेशन उसकी दिव्यता है। पूज्य स्वामी जी के नेतृत्व में आयोजित दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड का संकल्प परमार्थ निकेतन की दिव्यता और भव्यता का प्रतीक है। यहां पर निरंतर सेवा कार्य सम्पादित हो रहे हैं। सेवा परमो धर्मः।

श्री विनोद बागरोडिया जी ने बताया कि महावीर सेवा सदन के माध्यम से विगत 37 वर्षो से दिव्यागों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कार्य किये जा रहे हंै। पूज्य स्वामी जी के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में यह यात्रा जारी रहेगी। हम दिव्यांगों को कृत्रिम अंग प्रदान करने के साथ ही दिव्यांग बच्चों को उनकी शिक्षा हेतु स्काॅलरशिप प्रदान करते हैं और हमारा प्रयास होता है कि जिन दिव्यांगों को कृत्रिम अंग लगाये उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु उनकी सहायता भी करें।
दिव्यांग शिविर में दिव्यांगों को कृत्रिम अंग वितरित करने के साथ ही सीपी बच्चों की थेरेपी भी की जा रही हैं।